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SSC Guru Talks - प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए स्मार्ट नोट्स और अभ्यास
1. पत्थर युग (Stone Age) 1 2. ताम्र युग (Copper Age or Chalcolithic Age) 1 3. सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) 1 4. वैदिक काल (Vedic Age) 1 6. बौद्ध धर्म (Buddhism) 1 7. महाजनपद (Mahajanpadas) 1 8. मगध साम्राज्य (Magadha Empire) 1 9. मौर्य साम्राज्य (Mauryan Empire) 1 10. मौर्योत्तर साम्राज्य (Post-Mauryan Empires) 1 11.संगम युग (Sangama Age) 1 12.गुप्त साम्राज्य (Gupta Era) 1 13.उत्तर गुप्त काल एवं साम्राज्य (Post-Gupta Era & Dynasties) 1 10. मौर्योत्तर साम्राज्य (Post-Mauryan Empires)
10. मौर्योत्तर साम्राज्य ✨ मौर्योत्तर साम्राज्य (Post-Mauryan Empires) – भारत का मध्यकालीन संगठित इतिहास 🏺🕉️
👉 मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद कई नए राज्य और वंश उभरे, जिन्होंने कला, संस्कृति, राजनीति और धर्म में महत्वप...
✨ मौर्योत्तर साम्राज्य (Post-Mauryan Empires) – भारत का मध्यकालीन संगठित इतिहास 🏺🕉️
👉 मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद कई नए राज्य और वंश उभरे, जिन्होंने कला, संस्कृति, राजनीति और धर्म में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 🏹📜
1️⃣ सुंग वंश (Sunga Dynasty) – हिंदू धर्म और कला का संरक्षण
🔹 काल: 185BC - 73BC
🔹 संस्थापक: पुष्यमित्र सुंग
🔹 राजधानी: विदिशा (मध्य प्रदेश)
🔹 धर्म: हिंदू, बौद्ध कलाओं का संरक्षण (बारहुत स्तूप)
🔹 प्रमुख व्यक्ति: अग्निमित्र (पुत्र), देवभूति (अंतिम शासक)
🔹 साहित्य: मालविकाग्निमित्र (कालिदास), महाभाष्य (पतंजलि)
⭐️ महत्व: हिंदू धर्म और बौद्ध कला का संतुलित संरक्षण।
2️⃣ कण्व वंश (Kanva Dynasty) – पाटलिपुत्र का केंद्र
🔹 काल: 73BC - 28BC
🔹 संस्थापक: वासुदेव
🔹 राजधानी: पाटलिपुत्र
⭐️ महत्व: मौर्य शासन के बाद सत्ता का संक्षिप्त और स्थिर संक्रमण।
3️⃣ सातवाहन वंश (Satvahana Dynasty) – दक्षिणी व्यापार और संस्कृति
🔹 काल: 60BC - 225AD
🔹 क्षेत्र: वर्तमान महाराष्ट्र
🔹 राजधानी: पैठण / प्रतिष्ठान
🔹 संस्थापक: सिमुका सातवाहन
🔹 महान शासक: गौतमीपुत्र साटकर्णी – शक शासक पर विजय, ब्राह्मणवाद अपनाया
🔹 सामाजिक संरचना: पैतृक और मातृसत्तात्मक
🔹 धार्मिक योगदान: भूमि दान, चैत्यों और विहारों का निर्माण (अजंता, एलोरा), स्तूप – अमरावती, नगरजुनकोंडा
🔹 भाषा: प्राकृत
⭐️ महत्व: दक्षिणी भारत में ब्राह्मण और बौद्ध संस्कृति का समृद्धिकरण।
4️⃣ सिकों / शक वंश (Sakas Dynasty) – पश्चिमी भारत का प्रभाव
🔹 शाखाएँ: 5 मुख्य शाखाएँ, पश्चिमी भारत में शासन
🔹 प्रमुख शासक: रुद्रदमन I
🔹 उपलब्धियां: जूनागढ़ शिलालेख (गिरनार), सुदर्शन सरोवर की मरम्मत
🔹 संघर्ष: विक्रमादित्य परमार ने पराजित (57BC) – विक्रम संवत की शुरुआत
🔹 राजधानी: उज्जैन
⭐️ महत्व: सिकों का पश्चिम भारत में प्रशासनिक और स्थापत्य योगदान।
5️⃣ कुषाण वंश (Kushans) – व्यापार और बौद्ध संस्कृति का विस्तार
🔹 काल: 1वीं – 3री शताब्दी AD
🔹 अन्य नाम: युएझिस / टॉचेरियन्स
🔹 राजधानी: पेहशावर → मथुरा
🔹 प्रमुख शासक: काद्फिसेस (स्थापक), कनिष्क (महान शासक – 2nd अशोक)
🔹 योगदान: चौथे बौद्ध परिषद का संरक्षण (महायान), स्वर्ण मुद्रा, रेशम मार्ग नियंत्रण
🔹 समाज और संस्कृति: हॉर्समैन तकनीक, टर्बन, शेरवानी, शिव और बुद्ध पूजा
🔹 साहित्य: बुद्धचरित्र (अश्वघोष), महावत्रे, दिव्यदाना, कामसूत्र (वात्स्यायन)
🔹 विज्ञान: आयुर्वेद – चरकसंहिता, सुश्रुत – शल्यचिकित्सा के जनक
⭐️ महत्व: उत्तर-पश्चिम भारत में बौद्ध धर्म और सांस्कृतिक आदान-प्रदान।
🏁 निष्कर्ष (Conclusion)
मौर्योत्तर साम्राज्य – राजनीतिक और सांस्कृतिक विविधता का काल।
सुंग, कण्व, सातवाहन, सिक, और कुषाण वंशों ने भारतीय उपमहाद्वीप में धर्म, कला, साहित्य और प्रशासनिक प्रणाली को मजबूत किया।
सृजन-क्रम (Evolution Line): मौर्य → मौर्योत्तर वंश → गुप्त काल → मध्यकालीन भारत → आधुनिक भारत 🇮🇳
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2️⃣ कण्व वंश (Kanva Dynasty) – पाटलिपुत्र का केंद्र
3️⃣ सातवाहन वंश (Satvahana Dynasty) – दक्षिणी व्यापार और संस्कृति
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