💰 मुद्रास्फीति और बेरोज़गारी (Inflation & Unemployment) – 🔥 "जब कीमतें बढ़ें, नौकरियाँ घटें!"
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कहानी से शुरुआत:
कल्पना करें, आपकी जेब में वही ₹100 हैं, लेकिन अब उससे पहले जितना समान नहीं खरीद सकते। 📉
कीमतें बढ़ रही हैं (Inflation), और लोग नौकरी ढूंढ रहे हैं (Unemployment)।
यही दो शक्तियाँ मिलकर अर्थव्यवस्था की धड़कन तय करती हैं! 💹
1️⃣ मुद्रास्फीति (Inflation) 📈
- 🔹 उत्पत्ति / परिभाषा:
- वस्तुओं और सेवाओं के सामान्य मूल्य स्तर में निरंतर वृद्धि।
- परिणामस्वरूप मुद्रा की क्रय शक्ति (purchasing power) घट जाती है।
- 🔹 अवधारणा (Concept):
- "बहुत सारे रुपये, बहुत कम वस्तुएँ" – यानी मांग बढ़ी पर आपूर्ति सीमित।
- इरविंग फिशर (Irving Fisher) के अनुसार, समीकरण MV = PT से मुद्रा और मूल्य स्तर का संबंध।
- 🔹 प्रकार (Types by Rate):
1.
Creeping (धीमी): 3–4%
2.
Walking (सामान्य): 4–10%
3.
Running (तेज़): 10–20%
4.
Galloping (तेज़तर): 20–100%
5.
Hyper Inflation (अत्यधिक): 100% से अधिक 🚨
- 🔹 कारण (Causes):
- Demand-Pull Inflation: माँग बढ़ने से कीमतें बढ़ती हैं।
- Cost-Push Inflation: उत्पादन लागत (जैसे मजदूरी, ईंधन) बढ़ने से कीमतें बढ़ती हैं।
- 🔹 प्रभाव (Impact):
- Debtors को लाभ, Creditors को हानि।
- बचत घटती है, निवेश अस्थिर होता है।
- सरकार के राजस्व में असंतुलन आ सकता है।
- 🔹 मापन (Measurement):
- WPI (Wholesale Price Index):
- निर्मित वस्तुओं को अधिक वज़न।
- सेवाएँ शामिल नहीं।
- Base Year: 2011–12
- प्रकाशक: Office of Economic Advisor (Ministry of Commerce & Industry)।
- CPI (Consumer Price Index):
- खाद्य वस्तुओं को अधिक वज़न।
- Base Year: 2011–12
- प्रकाशक: NSO (MoSPI)।
- RBI द्वारा लक्ष्य निर्धारण में प्रयोग: CPI (Combined)।
- 🔹 उदाहरण (Examples):
- भारत में ईंधन मूल्य वृद्धि से लागत-आधारित मुद्रास्फीति।
- वेनेज़ुएला में Hyper Inflation का ऐतिहासिक उदाहरण।
⭐️
Why Important?
मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था के तापमान का पैमाना है – ज़्यादा हो तो "ओवरहीटिंग", कम हो तो "मंदी"।
2️⃣ बेरोज़गारी (Unemployment) 🧍♂️💼
- 🔹 परिभाषा:
- जब कार्य करने की क्षमता और इच्छा होते हुए भी व्यक्ति को रोजगार नहीं मिलता।
1.
संरचनात्मक (Structural): कौशल और नौकरियों में असमानता।
2.
शिक्षित (Educated): योग्य व्यक्ति को काम न मिलना (Urban India)।
3.
घर्षणात्मक (Frictional): नौकरियों के बीच का अस्थायी अंतराल।
4.
छिपी/प्रच्छन्न (Disguised): काम में लगे पर उत्पादकता शून्य (कृषि क्षेत्र)।
5.
चक्रीय (Cyclical): मंदी या recession से उत्पन्न।
6.
मौसमी (Seasonal): मौसम पर निर्भर रोजगार (जैसे – दीपावली पटाखा विक्रेता)।
- 🔹 अवधारणा (Concept):
- रोजगार का अभाव न केवल व्यक्ति की आय घटाता है बल्कि देश की उत्पादकता भी कम करता है।
- 🔹 प्रभाव (Impact):
- गरीबी, अपराध, और असमानता में वृद्धि।
- सरकार पर सामाजिक सुरक्षा का बोझ बढ़ता है।
- 🔹 आँकड़े / डेटा:
- भारत में Periodic Labour Force Survey (PLFS) से बेरोज़गारी दर मापी जाती है।
- 🔹 उदाहरण (Examples):
- 2007–09 की Great Recession के दौरान बेरोज़गारी का वैश्विक उछाल।
⭐️
Why Important?
बेरोज़गारी आर्थिक विकास की सबसे बड़ी बाधा है — यह सामाजिक स्थिरता और मानव संसाधन दोनों को प्रभावित करती है।
3️⃣ फ़िलिप्स वक्र और ठहराव (Phillips Curve & Stagflation) 📊
- 🔹 परिभाषा (Definition):
- Phillips Curve: मुद्रास्फीति और बेरोज़गारी में विपरीत संबंध दिखाता है।
(Inflation ↑ → Unemployment ↓)
- Stagflation: दोनों का एकसाथ बढ़ना — "No growth, High prices!"
- 🔹 कार्यप्रणाली (Mechanism):
- नीति-निर्माताओं के लिए चुनौती — मुद्रास्फीति घटाएँ तो बेरोज़गारी बढ़ती है, और उल्टा।
- 🔹 उदाहरण (Examples):
- 1970s का तेल संकट – जब विश्व ने Stagflation का अनुभव किया।
⭐️
Why Important?
यह नीति-निर्माण का संतुलन सिखाता है — “कीमतें नियंत्रण में रखो, पर नौकरियाँ भी बचाओ।”
4️⃣ औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production - IIP) 🏭
- 🔹 परिभाषा:
- देश में औद्योगिक उत्पादन का मासिक मापन।
- Base Year: 2011–12
- प्रकाशक: NSO (MoSPI)
- 🔹 मुख्य तथ्य:
- 8 प्रमुख उद्योग (Core Industries) का योगदान ≈ 40%
- पेट्रोलियम, बिजली, इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, प्राकृतिक गैस, कोयला, कच्चा तेल।
⭐️
Why Important?
IIP देश की आर्थिक गति बताता है — उद्योग चलें तो रोज़गार और विकास दोनों बढ़ते हैं।
🏁 निष्कर्ष (Conclusion) 💬
- मुद्रास्फीति और बेरोज़गारी — अर्थव्यवस्था की दो विपरीत लेकिन जुड़ी शक्तियाँ हैं।
- दोनों का संतुलन ही स्थिर आर्थिक विकास की कुंजी है।
📈
Evolution Line:
मूल्य स्तर → उत्पादन लागत → रोजगार → उपभोक्ता आय → राष्ट्रीय विकास → 🌍 वैश्विक अर्थव्यवस्था
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