Polity > 3. भारत का संविधान – भाग I, II और विशेष प्रावधान (Indian Constitution – Part I, II & Special Provisions)

3. भारत का संविधान – भाग I, II और विशेष प्रावधान

Summary: ✨ भारत का संविधान – भाग I, II और विशेष प्रावधान (Indian Constitution – Part I, II & Special Provisions) 🪷 “एक देश, एक नागरिकता, अनेक राज्य — यही है भारत की एकता की खूबसूरती!” --- 🌅...

Key Highlights

Important Years:
196019551948
Articles:
Article 371Article 1

✨ भारत का संविधान – भाग I, II और विशेष प्रावधान (Indian Constitution – Part I, II & Special Provisions)

🪷 “एक देश, एक नागरिकता, अनेक राज्य — यही है भारत की एकता की खूबसूरती!”

🌅 परिचय (Introduction)

भारत का संविधान केवल कानूनों का संग्रह नहीं, बल्कि “भारत की आत्मा” है 🇮🇳। इसकी शुरुआत ही हमें बताती है कि भारत क्या है — एक अखंड संघ, अनेक राज्य, और एक साझा पहचान। चलिए समझते हैं — कैसे Part I, Part II और Special Provisions (Article 371–371J) भारत की नींव को मज़बूत करते हैं ⚖️

1️⃣ संघ और उसका क्षेत्र (Union and its Territory)

📜 Articles 1–4

🔹 परिभाषा / अर्थ (Meaning)

संविधान का भाग I भारत की राजनीतिक-सांविधानिक संरचना को परिभाषित करता है — भारत “राज्यों का संघ” (Union of States) है, न कि “राज्यों का संघीय समझौता”।

🔹 विशेषताएँ (Key Features)

🔹 महत्वपूर्ण अनुच्छेद (Important Articles)

| अनुच्छेद | विषय | विवरण | |-----------|-------|--------| | Article 1 | भारत का नाम और क्षेत्र | “India, that is Bharat” — Union of States | | Article 2 | नए राज्यों का प्रवेश / स्थापना | संसद नया राज्य बना या जोड़ सकती है | | Article 3 | राज्यों की सीमाएँ / नाम बदलना | संसद, राष्ट्रपति की अनुमति से कर सकती है | | Article 4 | संविधान संशोधन नहीं माना जाएगा | साधारण बहुमत से ही संभव |

⚖️ Berubari Union Case (1960)

भारत का कोई क्षेत्र किसी विदेशी देश को देने के लिए संविधान संशोधन (Art 368) आवश्यक है।

⭐️ Why Important?

➡️ यह भाग भारत की अखंडता और संवैधानिक संरचना की जड़ है — जो भारत को “एक संपूर्ण संघ” बनाती है।

2️⃣ नागरिकता (Citizenship)

📜 Articles 5–11

🔹 परिभाषा / अर्थ (Meaning)

नागरिकता यह तय करती है कि “कौन भारतीय है”। भारत में केवल एकल नागरिकता (Single Citizenship) है — ब्रिटिश मॉडल की तरह 🇬🇧

🔹 प्रमुख अनुच्छेद (Articles)

| अनुच्छेद | विषय | विवरण | |-----------|-------|--------| | Article 5 | संविधान लागू होने के समय की नागरिकता | जो भारत में जन्मा या रह रहा था | | Article 6 | पाकिस्तान से आए लोग | भारत में बसे तो नागरिक माने गए | | Article 7 | पाकिस्तान गए फिर लौटे लोग | विशेष शर्तों पर नागरिकता | | Article 8 | विदेश में भारतीय मूल के लोग | भारत से संबंध रखने वाले भी नागरिक बन सकते हैं | | Article 9 | विदेशी नागरिकता लेने पर | भारतीय नागरिकता समाप्त ❌ | | Article 10 | नागरिकता जारी रहना | जब तक कानून न बदले, जारी रहेगी | | Article 11 | संसद का अधिकार | नागरिकता देने या छीनने की शक्ति संसद को |

🔹 Citizenship Act, 1955 – नागरिकता के 5 तरीके

1. जन्म से (By Birth) 👶 2. वंश से (By Descent) 🧬 3. पंजीकरण से (By Registration – 7 वर्ष निवास) 🏠 4. प्राकृतिककरण से (By Naturalization – 12 वर्ष निवास) 🌿 5. भारत में क्षेत्र के विलय से (By Incorporation) 🗺

⚡ नागरिकता खोने के 3 तरीके

⭐️ Why Important?

➡️ नागरिकता किसी व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों की नींव है — जैसे मतदान, शिक्षा, सुरक्षा आदि।

3️⃣ राज्य पुनर्गठन और भाषाई आधार (State Reorganisation & Linguistic Principle)

🔹 पृष्ठभूमि (Background)

स्वतंत्रता के बाद प्रश्न उठा — “राज्य भाषा के आधार पर बने या प्रशासनिक सुविधा पर?” यही से शुरू हुआ भारत के नक्शे का विकास 🗺

🔹 प्रमुख आयोग और घटनाएँ

| आयोग / समिति | वर्ष | सिफ़ारिश | परिणाम | |---------------|-------|-----------|---------| | SK धार आयोग | 1948 | प्रशासनिक सुविधा आधार पर राज्य | अस्वीकार ❌ | | JVP समिति (नेहरू, पटेल, सीतारमैया) | 1948 | भाषाई आधार अस्वीकार | अस्वीकार ❌ | | पोत्ती श्रीरामलु आंदोलन | 1953 | तेलुगु राज्य की माँग, 56 दिन अनशन के बाद मृत्यु | आंध्र प्रदेश बना ✅ | | फ़ज़ल अली आयोग | 1953 | भाषाई आधार स्वीकार, पर “एक भाषा – एक राज्य” अस्वीकार | States Reorganisation Act, 1956 लागू हुआ |

🔹 प्रमुख राज्य गठन (State Formation Timeline)

| राज्य | वर्ष | विशेषता | |--------|-------|-----------| | आंध्र प्रदेश | 1953 | पहला भाषाई राज्य | | महाराष्ट्र, गुजरात | 1960 | बंबई राज्य विभाजन | | नागालैंड | 1963 | पूर्वोत्तर का नया राज्य | | हरियाणा | 1966 | पंजाब से अलग | | हिमाचल प्रदेश | 1971 | पूर्ण राज्य बना | | मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय | 1972 | पूर्वोत्तर विस्तार | | सिक्किम | 1975 | भारत में विलय | | मिजोरम, अरुणाचल, गोवा | 1987 | गोवा पहले UT था | | तेलंगाना | 2014 | सबसे नया राज्य 🌟 |

⭐️ Why Important?

➡️ राज्यों का पुनर्गठन भारत की भाषाई विविधता और संघीय संतुलन का प्रतीक है।

4️⃣ विशेष प्रावधान (Special Provisions – Article 371 to 371J)

🔹 उद्देश्य (Purpose)

भारत विविधताओं का देश है 🌏 — कुछ राज्यों को उनकी सांस्कृतिक, भौगोलिक, और प्रशासनिक विशेषताओं के अनुसार विशेष अधिकार दिए गए हैं।

🔹 प्रमुख अनुच्छेद (Important Articles)

| अनुच्छेद | राज्य | विशेषता | |-----------|--------|-----------| | 371 | महाराष्ट्र, गुजरात | क्षेत्रीय विकास परिषद | | 371A | नागालैंड | नागा परंपराओं की रक्षा | | 371B | असम | जनजातीय परिषद व्यवस्था | | 371C | मणिपुर | हिल एरिया कमेटी | | 371D–E | आंध्र प्रदेश, तेलंगाना | स्थानीय रोजगार और विश्वविद्यालय | | 371F | सिक्किम | विशेष प्रशासनिक व्यवस्था | | 371G | मिजोरम | स्थानीय कानूनों की सुरक्षा | | 371H | अरुणाचल प्रदेश | गवर्नर को विशेष शक्तियाँ | | 371I | गोवा | सांस्कृतिक संरक्षण | | 371J | कर्नाटक | हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र को विशेष लाभ |

⭐️ Why Important?

➡️ ये प्रावधान भारत की संविधानिक लचीलापन और संघीयता की असली मिसाल हैं — एकता में विविधता को सुनिश्चित करते हैं।

🏁 निष्कर्ष (Conclusion)

भारत का संविधान केवल “कानूनी दस्तावेज़” नहीं — यह भारत की आत्मा है 🇮🇳 Part I हमें “एक संघीय ढाँचा” देता है, Part II हमें “एक नागरिकता” देता है, और Special Provisions हमें “विविधता में एकता” सिखाते हैं। ➡️ यही तीनों मिलकर भारत को “लोकतांत्रिक, संघीय और समरस राष्ट्र” बनाते हैं 🌺

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